प्रथम विश्व युद्ध (28 जुलाई 1914 - 11 नवंबर 1918)

 प्रथम विश्व युद्ध (28 जुलाई 1914 - 11 नवंबर 1918) एक वैश्विक संघर्ष था, जिसे 'महान युद्ध' के नाम से भी जाना जाता है। इस युद्ध में मुख्यतः दो गुट शामिल थे: मित्र राष्ट्र—फ्रांस, ब्रिटेन, रूस, इटली, जापान, और 1917 के बाद से संयुक्त राज्य अमेरिका; और केंद्रीय शक्तियाँ—जर्मनी, ऑस्ट्रिया-हंगरी, ऑटोमन साम्राज्य, और बुल्गारिया। 


युद्ध के प्रमुख कारण


1. आर्कड्यूक फ्रांज फर्डिनेंड की हत्या: 28 जून 1914 को ऑस्ट्रिया-हंगरी के उत्तराधिकारी आर्कड्यूक फ्रांज फर्डिनेंड और उनकी पत्नी की साराजेवो में हत्या कर दी गई। इस घटना ने ऑस्ट्रिया-हंगरी और सर्बिया के बीच तनाव को बढ़ाया, जिससे युद्ध की शुरुआत हुई। 



2. राष्ट्रवाद और साम्राज्यवाद: यूरोप में विभिन्न राष्ट्रों के बीच बढ़ते राष्ट्रवादी और साम्राज्यवादी विचारों ने देशों के बीच प्रतिस्पर्धा और दुश्मनी को बढ़ावा दिया।



3. सैन्य गठबंधन: विभिन्न देशों के बीच बने सैन्य गठबंधनों ने एक देश के युद्ध में शामिल होने पर अन्य सहयोगी देशों को भी युद्ध में खींच लिया।


युद्ध का परिणाम


चार वर्षों तक चले इस विनाशकारी युद्ध में लगभग 1.7 करोड़ लोग मारे गए, जिनमें सैनिक और नागरिक दोनों शामिल थे। युद्ध के अंत में, वर्साय की संधि (28 जून 1919) पर हस्ताक्षर किए गए, जिसने जर्मनी और उसके सहयोगियों को युद्ध के लिए उत्तरदायी ठहराया और उन पर कठोर शर्तें लगाईं। 

भारत की भूमिका


उस समय भारत ब्रिटिश साम्राज्य का हिस्सा था, और ब्रिटेन के आह्वान पर लगभग 13 लाख भारतीय सैनिकों ने युद्ध में भाग लिया। इनमें से कई सैनिकों ने पश्चिमी मोर्चे, मध्य पूर्व और अफ्रीका में लड़ाई लड़ी। भारतीय सैनिकों की बहादुरी ने विश्व मंच पर भारत की प्रतिष्ठा बढ़ाई और स्वतंत्रता आंदोलन को नई ऊर्जा प्रदान की। 


प्रथम विश्व युद्ध ने वैश्विक राजनीति, अर्थव्यवस्था और समाज पर गहरा प्रभाव डाला, जिससे कई नए राष्ट्रों का उदय हुआ और द्वितीय विश्व युद्ध की पृष्ठभूमि तैयार हुई।


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